स्मारक व मूर्ति के निर्माण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा अपने क्लाइंट को बता दीजिए कि उन्हें हाथियों और मूर्तियों पर खर्च जनता के पैसों को सरकारी धन में वापस करना चाहिए। मायावती ने कहा यह अभी अंतिम फैसला नहीं। गोभी मीडिया की सोशल मीडिया पर जमकर खिल्ली उड़ाई गई। कहा झूठ फैला रही है गोभी मीडिया
नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के लखनऊ व नोएडा में भारी मात्रा में स्मारक और हाथियों की मूर्ति बनाई गई थी। जिसको लेकर याचिकाकर्ता रविकांत ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर बसपा चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों के निर्माण पर खर्च सरकारी धन को वसूलने हेतु याचिका डाली गई। जिस मामले को लेकर
आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए मायावती के वकील सतीश मिश्रा से कहा अपने क्लाइंट को बता दीजिए कि उन्हें हाथियों और मूर्ति पर खर्च जनता के पैसों को सरकारी खजाने को वापस करना चाहिए।
और शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि इसकी सुनवाई 2 अप्रैल को आगे होगी। जिस पर मायावती के वकील सतीश मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत से मई में कराने के लिए अनुरोध किया। जिस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें।
जैसे-जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है। वैसे वैसे माननीय सुप्रीम कोर्ट लगातार बड़े बड़े मसलों पर सुनवाई कर रही है। उससे साफ जाहिर हो रहा है कि लोकसभा चुनाव की जल्दी अधिसूचना जारी होने वाली है। आने वाली 2 अप्रैल 2019 को अगर मायावती के विरोध में फैसला आता है तो मायावती इस मामले में मुश्किल में फंस सकती है
अब सवाल यह उठता है कि देश में बहुजन समाज पार्टी के अलावा और भी बहुत राजनीतिक पार्टी हो जिसने महापुरुषों की मूर्ति बनाई।
क्या माननीय सुप्रीम कोर्ट देश के तमाम राजनीतिक दलों द्वारा बनाई गई महापुरुषों की मूर्ति, और स्मारक का पैसा वापस सरकारी खजाने में जमा कर पाएगी । क्या सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बसपा प्रमुख मायावती के लिए ही है।
This Furloughed Employee Found A Unique Way To Make Money During The Shutdown
स्मारक व मूर्तियों का पैसा लौटाने के सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर गोदी मीडिया के खिलाफ सोशल मीडिया पर जमकर ट्रेंड कर की खिल्ली उड़ाई गई।
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर जब का ट्रेंड किया जा रहा है। जिस में खासतौर पर आप नेता व वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष द्वारा सोशल मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफार्म ट्विटर पर ट्वीट द्वारा कहा गया अगर मायावती को मूर्तियों पर खर्च पैसा लौटाना होगा तो पटेल की मूर्ति पर हुआ 3000 करोड़ रुपए मोदी सरकार को लौटाना होगा वो भी जनता के पैसे से बना होगा
Sudhindra Bhadoria @sud टि्वटर पर लिखते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने मायावती को नहीं दिया पैसा लौटाने का आदेश क्यों झूठ बोल रहा है जातिवाद मीडिया
उन्होंने आगे कहा कि इससे पता चलता है कि मनुवादी मानसिक लोग मीडिया में भरे पड़े हैं पर दलित ओबीसी और सभी भारत के गरीब लोग मनुवादी मीडिया के बहकावे में आने वाले नहीं
Devashish jarariya @jarariy टि्वटर पर लिखते हैं अगर मायावती जी से पैसा लेना है तो लीजिए पर साथ ही 3000 करोड़ मोदी सरकार से भी लो और अब तक जितने भी पाकों स्मारकों पर पैसा खर्च किया उनसे भी वह सब वापस हो
Sumit Singh @Sumit6828522 टि्वटर पर लिखते हैं हमारे देश से तीन चोर अरबों करोड़ों की संपत्ति लेकर भाग जाते हैं उनका सरकार कुछ नहीं उखाड़ पाती है और जिन्होंने हमारे समाज की कुछ पूर्वजों के लिए मूर्ति बनवा दी हैं कौन सी सरकार पैसा वापस मांग रही है सरकार पटेल की 3000 करोड़ की मूर्ति कुंभ में 500 करोड़ से ज्यादा की फिजूलखर्ची इसका हिसाब
Dilip Parmar @DILI8PARMAR टि्वटर पर लिखते हैं अक्षरधाम कुंभ मेला पटेल स्टेचू शिवाजी और गांधी स्थल बगैरा वगैरहा से भी हिसाब मांगा जाए और जो पंडितैयेन जो गाय पर पैसा खर्च हो रहा है उसका भी पैसा सरकार को वापस चाहिए समझ आया गोबर
Phool Chandra Yadav @phool ch2 टि्वटर पर लिखते हैंः मायावती मूर्तियों का पैसा सरकार को लौटाएः SC
तो अब सरदार पटेल जी की मूर्ति की 3000 करोड़ मोदी जी कब लौटा रहे हैं
Anju Prasad @Anujpra7743 ट्विटर पर लिखती हैंः अगर बसपा द्वारा बनाए गए मूर्ति का पैसा वापस होना चाहिए तो बीजेपी द्वारा 3000 करोड़ रुपए की पटेल की मूर्ति का भी पैसा वापस होना चाहिए
अब सोशल मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफार्म टि्वटर पर जिस तरह मूर्तियों व स्मारकों का पैसा वापस करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा टिप्पणी की गई। क्या वाकई में सुप्रीम कोर्ट अब सभी राजनेताओं के खिलाफ अभियान चलाकर स्मारक मूर्तियों का पैसा वसूल पैसा वसूलने का आदेश जारी करेगी।
मौजूदा समय को देखती है माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिस तरह राजनेताओं के खिलाफ फैसले आ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव जैसी नजदीक आ रहे हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार मोदी सरकार के विरोध में खड़े सभी राजनेताओं के खिलाफ लगातार सुनवाई की जा रही है। इसको लेकर लगातार सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहे हैं। यह सब इन सब मामलों में साजिश की बू आ रही है। जिस तरह माननीय सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामलों पर सुनवाई कर रहा है। उससे देश के तमाम बुद्धिजीवी व राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इनके कारण ही मोदी सरकार की साख लगातार गिरती जा रही है।
इससे स्पष्ट किया जा सकता है कि आने वाले समय में जनता के बीच में मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा जनाक्रोश खड़ा हो गया है। पहले और अब विपक्ष मोदी सरकार को लगातार कटघरे में खड़ा करता रहा है। अब तो सोशल मीडिया का बड़ा तबका लगातार मोदी सरकार को निशाने पर लिए हुए हैं। आखिर भाजपा के मोदी सरकार को यह क्यों ना समझ में आ रहा है कि उसका हर वार उल्टा उसी के ऊपर पडता है। इसलिए ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के आधार पर भारतीय जनता पार्टी को समझ लेना चाहिए। देश की 75% जनता उसके पक्ष में नहीं है। और भारतीय जनता पार्टी को उस 75% जनता को मनाने के लिए तोड़ ढूंढना चाहिए। क्योंकि जिस तरह भारतीय जनता पार्टी अपने विरोधियों पर हमला बोल रही है। उनके कारण लगातार मोदी समर्थक विरोधियों के साथ समर्थक बनते जा रहे हैं। और लगातार भाजपा का वोटर उनके हाथ से फिसलता जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है भारतीय जनता पार्टी अपने डैमेज कंट्रोल को कवर करने में सफल नहीं हो पा रही है। जिसके कारण लगातार भारतीय जनता पार्टी संकट का सामना कर रही है। एक मुद्दा उसका पीछा छोड़ता है 10 मुद्दे उसके खिलाफ और तैयार हो जाते हैं। जो भारतीय जनता पार्टी की साख गिराने में सबसे ज्यादा भूमिका उनके नेताओं की रही। जिनके कारण ही प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में किए गए बेहतरीन कार्य को सब गुड गोबर कर दिया। हालांकि अधिकांश जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2019 के लोकसभा चुनाव में कमल खिलाने की आस दिख रही। लेकिन भारतीय जनता पार्टी लगातार कमल खिलाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। और छटपटाहट जल्दी बाजी में। ऊल जरूर काम के कारण लेकिन कमबख्त राफेल डील और राम मंदिर का मुद्दा आखिर उसको पीछे छोड़ता ही नहीं।
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रफ्तार थी भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों को भुलाने की कोशिश कर रही है। चौगुनी रफ्तार से राफेल डील को लेकर विरोधी उछालने पर लगे हैं। वहीं रक्षा मंत्री सीतारमण का कहना है रफेल डील हमें 100% हमें जीत आएगी। और हम भी दिल से उम्मीद करते हैं कि राफेल डील आपको जीताऐ है। मगर क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से रायपुर डील पर भाजपा पार पाएगी। मेरा मानना है कि 2019 का चुनाव तक राफेल डील का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी को पीछा नहीं छोड़ेगा। यानी यूं कहें कि राफेल डील का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी को पूरे लोकसभा चुनाव तक सिरदार बना रहेगा। और जिस दिन भारतीय जनता पार्टी राफेल डील के मुद्दे की असरदार दवाई नहीं बनाती। तब तक यह राफेल डील का मुद्दा उसका पीछा करता रहेगा।
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