उत्तर प्रदेश का एक ऐसा प्राथमिक स्कूल जहां तक नहीं पहुंचती सरकार की कोई योजना। देखिए पूरी रिपोर्ट
प्राथमिक स्कूलों की जमीनी हकीकत
शाहजहांपुर:देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पिछले 5 वर्षीय कार्यकाल के दौरान लगातार बेटी बचाओ बेटी
पढ़ाओ का नारा देकर जन-जन तक संदेश पहुंचाने की कोशिश करते रहे देश में बेटियों को सुरक्षित रखा जाए
और उनको ज्यादा से ज्यादा पढ़ाया जाए उनके नारे का मुख्य तौर पर यही उद्देश्य था। लेकिन क्या राज्य सरकारों
ने उनकी इस बेहतरीन नारे बेटी बचाओ पढ़ाओ बेटी को साकार करने में कोई कामयाबी हासिल की है। देश और
उत्तर प्रदेश के हालात को देखकर जनता को खुद मालूम पड़ रहा है कि प्रदेश के हालात क्या हैं। दुख की यह बात है
कि सरकार राष्ट्रीय क्राइम रिपोर्ट (NCRB) 2 साल से संसद में पेश नहीं कर रही है। सरकार को अच्छी तरह
मालूम है कि देश में कितनी तेजी से किराया बढ़ रहा है। और जहां तक बेटियों को शिक्षित कराने की बात की जाए
तो उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 19 में 4 लाख28 हजार 384 करोड़ 52लाख का बजट पेश किया। जिसमें बेसिक
शिक्षा माध्यमिक और उच्च व तकनीकी शिक्षा को 68263.20 करोड़ का बजट बजट पेश किया गया।
और जिस शाहजहांपुर जिले की बात करने जा रहे हैं उस जिले के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने जिला योजना के लिए
₹416 अरब रुपए दिया गया जिसमें मात्र प्राथमिक शिक्षा के लिए 7697.93 लाख रुपए दिया गया।
2018 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला शाहजहांपुर को प्राथमिक शिक्षा के विकास और उत्थान
के लिए तकरीबन 7697.63 लाख रुपए दिया गया। लेकिन जिले के ब्लॉक क्षेत्र के गांव हिंदू पट्टी प्राथमिक
विद्यालय की बात की जाए तो वहां पर बच्चों के बैठने के लिए ना तो कोई शिक्षा भवन है ना कि कोई शौचालय ना
ही कोई बिजली है ना वही फर्नीचर है। सिर्फ नाम के लिए प्राथमिक विद्यालय यहां पर सिर्फ एक शिक्षक से काम
चलाया जाता है और नाम मात्र की बच्चे स्कूल में आते हैं। प्राथमिक स्कूल के बच्चों को तब परेशानी का ज्यादा
सामना करना पड़ता है जब भारी बारिश होती है तो इस स्कूल के खंडहर नुमा बने कमरे को बंद करा दिया जाता है
क्योंकि स्कूल के पास किसी तरह की कोई भवन नहीं है जहां बच्चों को बैठाया जा सके ऐसी उत्तर प्रदेश की शिक्षा
प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है उत्तर प्रदेश सरकार के भारी-भरकम बजट देने के बाद भी स्कूल तमाम सरकारी
शिक्षा से वंचित क्यों क्षेत्र के स्कूल पर कोई ध्यान नहीं देते या फिर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा
अधिकारी या एनपीआरसी इस तरह की सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं करते हैं जिसके कारण बच्चों के साथ अन्याय
किया जा रहा है और शिक्षा के नाम पर सिर्फ ढकोसला दिखाकर गरीब बच्चों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। जो
बेहद शर्मनाक और दयनीय है। जब केंद्र सरकार व राज्य सरकार गरीबों को न्याय देना चाहती है तो बीच में ऐसे
कौन से अधिकारी नेता है जो इन गरीब बच्चों को सारी शिक्षा से वंचित करें जालना हर देशवासी का फर्ज है। हमें
तो ऐसा लग रहा है कि देश की गरीब जनता के साथ सरकार के नौकर साहब कहीं ना कहीं मजाक बनाकर उन्हें
पढ़ाना नहीं चाहते और यही कारण है ।कि आज तक सरकार ने स्कूल के नाही बांडी नाही भवन नाही शौचालय
नहीं बिजली की व्यवस्था की जा सके ताकि गरीब बच्चे आराम से पढ़ सके।